⦁ डॉबेराइनर का त्रिक सिद्धांत-
डॉबेराइनर ने तीन-2 तत्वों वाले कुछ समूह बनाए व उन समूहों को त्रिक कहा । त्रिक तीनों तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में रखने पर बीच वाले तत्व का परमाणु द्रव्यमान अन्य दो तत्वों के परमाणु द्रव्यमान का लगभग औसत होता है ।इस आधार पर डॉबेराइनर ने कुछ त्रिक बनाए
1. Li Na K
2. Ca Sr Ba
3. Cl Br I
कमियाँ- सभी तत्वों को त्रिक के रूप में में नहीं जमा सके ।
⦁ न्यूलैंडस का अष्टक सिद्धांत-
इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक तत्व के गुणधर्म अपने से आठवें तत्व के गुणधर्म के साथ समानता दर्शाते हैं ।1. यह सिद्धांत केवल कैल्सियम(Ca) तक ही लागू होता है ।
2. न्यूलैंडस ने कल्पना की थी कि प्रकृति में केवल 56 तत्व ही विद्यमान है । लेकिन बाद में अनेक तत्व खोजे गए जिनके गुणधर्म अष्टक सिद्धांत से मेल नहीं खाते है ।
3. यह सिद्धांत केवल हल्के तत्वों के लिए ही ठीक से लागू हो पाया ।
⦁ मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी-
मेंडेलीफ ने जब अपना कार्य आरंभ किया तब 63 तत्व ज्ञात थे । उन्होंने तत्वों के परमाणु द्रव्यमान एंव उनके भौतिक व रासायनिक गुणधर्म के बीच संबंध स्थापित किया और बताया कि -"तत्वों के भौतिक व रासायनिक गुणधर्म उनके "परमाणु द्रव्यमान" के आवर्ती फलन होते है ।"
उपलब्धियाँ-
1. इन्होने अपनी आवर्त सारणी में तीन स्थानों को खाली छोड़ और वहाँ आने वाले तत्वों की उन्होंने एका एल्युमिनियम, एका बोरोन व एका सिलिकॉन नाम दिया और बाद में इनके स्थान पर क्रमश: Ga, Sc, Ge को रखा गया ।2. इनकी आवर्त सारणी की एक विशेषता और थी कि जब अक्रिय गैसों का पता चला तो उन्हें पिछली व्यवस्था को छेड़े बिना ही अन्य समूह में रखा जा सका ।
कमियाँ/सीमाएं-
1. हाइड्रोजन को आवर्त सारणी में नियत स्थान नहीं दिया जा सका ।
2. समस्थानिकों को सही स्थान नहीं दे पाए
3. परमाणु द्रव्यमान के आवर्ती फलन का भी कुछ जगहों पर उल्लंघन पाया गया ।
⦁ आधुनिक आवर्त सारणी/मोझले आवर्त सारणी-
इसके अनुसार त्वों के भौतिक व रासायनिक गुणधर्म उनके "परमाणु क्रमांक" के आवर्ती फलन होते है ।इस आवर्ती सारणी में 18 वर्ग व 7 आवर्त है ।
⦁ आधुनिक आवर्त सारणी की प्रवृति-
1.संयोजकता-
किसी तत्व या परमाणु के बाह्यत्तम कोश अथवा संयोजी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रोनों की संख्या को ही उस तत्व या परमाणु की संयोजकता कहते है ।
आवर्त सारणी में बायें से दायें ओर जाने पर संयोजकता में वृद्धि होती है ।
2. परमाणु साइज-
आवर्त सारणी में बायें से दायें ओर जाने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश में वृद्धि होती जाती है जिसके कारण आवर्त सारणी में बायें से दायें ओर जाने पर परमाणु साइज(त्रिज्या ) में कमी होती जाती है ।
आवर्त सारणी में बायें से दायें ओर जाने परमाणु साइज क्रम या त्रिज्या क्रम-
Li > Be > B > C > N > O
3. धात्विक एंव अधात्विक गुणधर्म-
आवर्त सारणी में बायीं ओर धातुएँ (Na, Mg , Al आदि) स्थित होती हैं जबकी दायीं ओर अधातुएँ (Si, C, N , O , हेलोजन तत्व आदि ) स्थित होती है ।
अतः आवर्त सारणी में बायें से दायें ओर जाने पर अधात्विक गुणधर्म बढ़ता है जबकी धात्विक गुणधर्म घटता है ।
4. विद्युत ऋणात्मकता -
किसी तत्व या परमाणु द्वारा अन्य तत्व के इलेक्ट्रॉनों को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता विद्युत ऋणात्मकता कहलाती है ।
अधातुओं की विद्युत ऋणात्मकता अधिक और धातुओं की विद्युत ऋणात्मकता कम या शून्य होती है ।
अतः आवर्त सारणी में बायें से दायें ओर जाने पर विद्युत ऋणात्मकता में वृद्धि होती है ।
5. ऑक्साइडों की प्रवृति-
धातुओं के ऑक्साइड क्षारीय व अधातुओं के ऑक्साइड अम्लीय होते है । अतः आवर्त सारणी में बायें से दायें ओर जाने पर तत्वों के ऑक्साइडों की अम्लीय प्रवृति बढ़ती है ।
⦁ धात्विक एंव अधात्विक गुणधर्म-
धात्विक गुणधर्म-
ऐसे तत्व जो इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृति रखते है या विद्युत धनात्मक होते है ,वो धात्विक गुणधर्म प्रदर्शित करते है । धातुओं के ऑक्साइड क्षारीय प्रवृति के होते है ।अधात्विक गुणधर्म-
ऐसे तत्व जो इलेक्ट्रॉन ग्रहण की प्रवृति रखते है या विद्युत ऋणात्मक होते है ,वो अधात्विक गुणधर्म प्रदर्शित करते है । अधातुओं के ऑक्साइड अम्लीय प्रवृति के होते है ।
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